विधवा मॉ के बेटे कृष्णा को मिला स्कूल में दाखिला

देहरादून: जिलाधिकारी सविन बसंल द्वारा कृष्णा की स्कूल में दाखिले के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा उनके कानों के आपरेशन के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया। जिसके क्रम कृष्णा को उकने घर नजदीक श्री गुरूरामराय स्कूल में दाखिला मिल गया तथा उनका कान के उपचार के लिए स्वास्थ्य परीक्षण दून मेडिकल कालेज तथा कोरोनेशन चिकित्सालय में किया गया है। अभी कृष्णा की एक ओर स्वास्थ्य जांच होनी है जिससे पता चल पाएगा की उनको आपरेशन जरूरत है या वे दवाईयों से ही ठीक हो जाएंगे।

06 नम्बर पुलिया निवासी विधवा फरियादी मॉ शांति देवी अपने बच्चें कृष्णा को लेकर डीएम से मिली थी कृष्णा कानों से कम सुनते हैं उनके पिता की 4 वर्ष पहले हो गई थी। कृष्णा की मॉ घरो में काम कर बच्चें का लालन-पालन करती है। उन्होंने अपनी फरियाद डीएम को सुनाई की उनका 14 वर्षीय पुत्र कृष्णा जो काम से बहुत कम सुनता है, जिस कारण स्कूल वाले उसको स्कूल में दाखिला नही दे रहे हैं, चिकित्सक को दिखाने पर कान का आपरेशन बताया है जिसका बहुत अधिक खर्चा लग रहा है उसे वहन नही कर सकती है। जिस पर डीएम ने कार्यवाही के निर्देश मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी को दिए थे।

डीएम के निर्देश पर कृष्णा को उनके नजदीकी श्री गुरूराम स्कूल में स्कूल में दाखिला मिल गया है था उनकी स्वास्थ्य जाचं चल रही हैै। तथा समाज कल्याण विभाग से कृष्णा को हेयरिंग मशीन उपलब्ध कराने को निर्देशित किया। डीएम ने कृष्णा के उपचार के लिए एनएचएम की आरबीएसके स्कीम से उपचार करने के निर्देश मुख्य चिकित्साधिकारी को दिए। जिला प्रोबेशन अधिकारी को समन्वय करने को निर्देशित किया ।

2 thoughts on “विधवा मॉ के बेटे कृष्णा को मिला स्कूल में दाखिला

  1. यह पाठ हिंदी में लिखा गया है।

    शांति देवी के संघर्ष और उनके बेटे कृष्णा की कहानी सचमुच दिल को छूने वाली है। यह अच्छा है कि डीएम ने तुरंत कार्रवाई की और कृष्णा को स्कूल में दाखिला मिल गया। लेकिन क्या स्वास्थ्य जांच और इलाज के लिए दी गई सहायता पर्याप्त है? मुझे लगता है कि समाज को भी ऐसे मामलों में आगे आना चाहिए और मदद करनी चाहिए। क्या इस तरह के मामलों को और अधिक प्रचारित किया जाना चाहिए ताकि और लोग जागरूक हो सकें? मैं उम्मीद करती हूं कि कृष्णा का इलाज जल्दी और सही तरीके से होगा। आपको क्या लगता है, क्या इस तरह के मामलों में सरकारी सहायता पर्याप्त है या और कुछ किया जाना चाहिए?

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