मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशों में ‘सांस अभियान 2025-26’ का शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखंड के अंतर्गत संचालित ‘सांस अभियान (Social Awareness and Action to Neutralize Pneumonia Successfully) 2025–26’ का राज्य स्तरीय शुभारंभ विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) डोईवाला, देहरादून में किया गया। यह कार्यक्रम बाल स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को निमोनिया से बचाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती अनुराधा पाल (आईएएस), कार्यवाहक मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन रहीं। उनके साथ मंच पर डॉ. आर. सी. पंत (निदेशक, डीजी हेल्थ सर्विसेज), डॉ. रश्मि पंत (निदेशक, एनएचएम), डॉ. मनोज शर्मा (मुख्य चिकित्साधिकारी, देहरादून) और डॉ. के. एस. भंडारी (सीएमएस, सीएचसी डोईवाला) उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी बधाई
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में सांस अभियान के शुभारंभ पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड के किसी भी बच्चे की जान ऐसी बीमारियों से न जाए जिन्हें रोका जा सकता है। निमोनिया से बचाव के लिए जागरूकता, समय पर पहचान और उपचार ही सबसे प्रभावी उपाय हैं। हमारी सरकार हर माँ-बाप को यह भरोसा दिलाती है कि बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी संसाधन की कमी नहीं रहने दी जाएगी। हर बच्चे की सुरक्षित सांस ही सशक्त उत्तराखंड का आधार बनेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वस्थ भारत-सशक्त भारत के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार सुधार के प्रयास कर रही है।

जागरूकता ही सबसे प्रभावी टीका
कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यवाहक मिशन निदेशक श्रीमती अनुराधा पाल के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि “निमोनिया से हर वर्ष हजारों बच्चों की जान जाती है, जबकि यह बीमारी समय पर पहचान और उपचार से पूरी तरह रोकी जा सकती है।” उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों का समय पर टीकाकरण कराएं और किसी भी लक्षण की स्थिति में चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। डॉ. रश्मि पंत, निदेशक, एनएचएम ने कहा कि “शिशु देखभाल की सही जानकारी ही निमोनिया से सुरक्षा की सबसे बड़ी कुंजी है।” उन्होंने माताओं को केवल स्तनपान कराने, समय पर पूरक आहार देने, स्वच्छता बनाए रखने और पीसीवी टीकाकरण की अनिवार्यता पर बल दिया। अभियान के तहत कार्यक्रम में उपस्थित पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को पोषण किट वितरित की गईं, जिससे उनकी प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ सके और समग्र विकास सुनिश्चित हो।

“हर स्तर पर जागरूकता से ही बदलेगी तस्वीर”-डॉ. आर. राजेश कुमार
राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि बाल स्वास्थ्य को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। निमोनिया जैसी बीमारियों से बच्चों की सुरक्षा के लिए सांस अभियान एक जन-आंदोलन की तरह चलाया जा रहा है। आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर घर-घर तक संदेश पहुँचाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि अगले एक वर्ष में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया से मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जाए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के सभी ज़िले अपने-अपने स्तर पर इस अभियान को जनसहभागिता के साथ क्रियान्वित करेंगे ताकि हर बच्चे को समय पर उपचार और सुरक्षा मिल सके।

सामुदायिक सहभागिता से बाल स्वास्थ्य की दिशा में सशक्त कदम
डॉ. आर. सी. पंत (निदेशक, डीजी हेल्थ सर्विसेज) ने कहा कि निमोनिया की रोकथाम में समुदाय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि राज्य के प्रत्येक जिले में इस अभियान के माध्यम से जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। डॉ. त्रिप्ती बहुगुणा, सलाहकार, राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केन्द्र (एसएचएसआरसी) ने कहा कि निमोनिया से लड़ाई केवल चिकित्सा क्षेत्र की नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने आशा, एएनएम और माता-पिता की सक्रिय भागीदारी पर बल दिया। डॉ. मनोज शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी, देहरादून ने कहा कि निमोनिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त बनाया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ. उमा रावत (सहायक निदेशक, बाल स्वास्थ्य), आईईसी टीम, बाल स्वास्थ्य प्रकोष्ठ, सीएचसी डोईवाला के चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मी एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

हर घर तक पहुँचेगी ‘सांस’ की सुरक्षा
कार्यक्रम के समापन पर यह घोषणा की गई कि सांस अभियान 2025-26 को 12 नवम्बर 2025 से 28 फरवरी 2026 तक पूरे राज्य में संचालित किया जाएगा। इस अवधि में प्रत्येक जिले में निमोनिया से बचाव हेतु विशेष जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य शिविर, घर-घर आशा और एएनएम का भ्रमण, बच्चों में खतरे के लक्षणों की पहचान और सक्रिय मामलों की खोज (Active Case Finding) जैसी गतिविधियाँ की जाएंगी। अभियान का मुख्य उद्देश्य पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु दर को कम करना है। इसके चार प्रमुख स्तंभ हैं जागरूकता, शीघ्र पहचान, समय पर उपचार और टीकाकरण।

हर सांस की सुरक्षा, हर बच्चे का अधिकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने यह संकल्प दोहराया है कि उत्तराखंड का कोई भी बच्चा निमोनिया जैसी रोकी जा सकने वाली बीमारी से अपनी सांसें न खोए। सांस अभियान 2025-26 केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है ताकि हर बच्चे की सांसें सुरक्षित रहें और उत्तराखंड स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *